नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। देश पर जब भी खतरा आया है इससे सेना ने देश को बचाया है, इसमें महिला शक्ति की भूमिका अहम रही है, इन्होंने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दुश्मनों के छक्के छुड़ाएं है। महिलाओं ने देश की सेना में अपने पराक्रम और अपनी योग्याता से एक अहम जगह बनाई है। आज डिफेंस डे पर हम ऐसी महिलाओं के बारे में बताएंगे जिन्होंने देश की सेवाके लिए अपना सर्वस्व सौंप दिया।
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पहली महिला एयर मार्शल
भारतीय वायुसेना में पद्मावती बंधोपाध्याय को पहली महिला एयर मार्शल होने का गौरव प्राप्त है। पद्मावती सन 1968 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुई थी। जिसके बाद 2002 में 34 साल की उम्र में अपनी निस्वार्थ सेवा भाव और देश प्रेम के चलते उन्हें एयर वाइस मार्शल के पद पर पहुंचने वाली भारतीय वायु सेना की पहली महिला अधिकारी बनीं।
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पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल
पुनीता अरोड़ा भारतीय नौसेना की पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल थीं।13 अक्टूबर 1932 को पाकिस्तान के लाहौर में पुनीता का जन्म हुआ।
इन्होंने अपनी ड्यूटी का काफी वक्त पंजाब में बिताया। 2002 में विशिष्ट सेवा पदक मिला। 2004 में वे नौसेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद कर पहुंचने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। उन्हें 36 साल के कार्यकाल में कुल 15 पदक मिले थे।
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कारगिल गर्ल
गुंजन सक्सेना को भारतीय सेना में 'कारगिल गर्ल' के रूप में भी जाना जाता है। कारगिल युद्ध में जहां भारतीय सेना ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे वहीं हमारी महिला पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना भी इसमें पीछे नहीं थीं। गुंजन पहली महिला पायलट थीं जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान लड़ाई में भारत की तरफ से पाकिस्तान से लोहा लिया था। इसके लिए उन्हें शौर्य वीर अवॉर्ड दिया गया था। गुंजन के मुताबिक कारगिल के दौरान भारतीय सेना के घायल जवानों को सुरक्षित निकालकर लाना उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा थी।
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कम उम्र में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल करने वाली महिला
दिव्या अजित कुमार का नाम सबसे कम उम्र में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल करने के लिए जाना जाता है। मात्र 21 साल की उम्र में उन्होंने सेना की स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल करने वाली देश की पहली महिला कैडेट बन गईं थी। दिव्या ने पढ़ाई में भी तीन स्वर्ण पदक जीते हैं। कप्तान दिव्या अजित कुमार को सितंबर, 2010 में सेना के वायु रक्षा कोर में नियुक्त किया गया था। गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2016) पर पहली बार 154 महिला अधिकारियों और कैडेटों के एक दल के साथ अखिल भारतीय महिला कप्तान दिव्या अजित कुमार ने नेतृत्व किया।
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पहली महिला जवान
शांति तिग्गा ने 13 लाख रक्षा बलों में पहली महिला जवान बनने का अनोखा गौरव हासिल किया है। शांति तिग्गा के शारीरिक परीक्षण, ड्रिल और गोलीबारी समेत आरटीसी में समूचे प्रदर्शन में सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु आंका गया था जिसके आधार पर उन्हें पहली महिला जवान बनने का मौका मिला था। भर्ती प्रशिक्षण शिविर के दौरान तिग्गा ने बंदूक को हैंडल करने के अपने कौशल से अपने प्रशिक्षकों को काफी प्रभावित किया और निशानेबाजों में सर्वोच्च स्थान हासिल किया था।